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खटती रही जीवन भर माँ
घर बाहर दोनों मोर्चों पर
लुटा चकी सब कुछ अपना
अपने श्रवण कुमारों पर
तन्हा पड़
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खटती रही जीवन भर माँ
घर बाहर दोनों मोर्चों पर
लुटा चकी सब कुछ अपना
अपने श्रवण कुमारों पर
तन्हा पड़
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