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नीला गगन
बहती पवन
बनके पतंग
उड़ती उद्दंड
तुम ही हो
जीवन बसंत
मन मृदंग
उड़ती सुगंध
उठती तरंग
खुशियों का संग
तुम ही तो हो
जीवन बसंत।
मं शर्मा (रज़ा)
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नीला गगन
बहती पवन
बनके पतंग
उड़ती उद्दंड
तुम ही हो
जीवन बसंत
मन मृदंग
उड़ती सुगंध
उठती तरंग
खुशियों का संग
तुम ही तो हो
जीवन बसंत।
मं शर्मा (रज़ा)
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