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कभी धूप
कभी छाँव है
कभी मरहम
कभी घाव है
जिंदगी ये तेरा
अंदाज बेमिसाल है
दुखों का मातम
कहीं रंगीला फाग है
उत्सव की धूम कहीं
विरह का राग है
जिंदगी ये तेरा
हिसाब बाकमाल है।
मं शर्मा (रज़ा)
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