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कभी ख्वाब सी
कभी हकीकत सी
कभी सज़ा सी
कभी सौगात सी
तुम जिंदगी हो
जीने को मिली हो
कभी दर्द सी
कभी निजात सी
कभी चार पल की
कभी पहाड़ सी
तुम ही जिंदगी हो
नेमतों से मिली हो।
मं शर्मा (रज़ा)
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