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दौरे बचपन में भी न की जिद कोई
इस उम्र में जीने की जिद कर रहे हैं
बिन कहे दिल की बात समझने वाले
शब्दों के अर्थों को गुमराह कर रहे हैं
मैं खो रहा हूँ तन्हाईयों में थाम लो
फिर न कहना बिन बताए जा रहे हैं।
मं शर्मा( रज़ा)
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