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भर भर के झोलियां वो
सबको दे गया
खाली रही झोली मेरी
फैलाने से चूक गया
सच कहूँ खुद को मैं
कुछ ज्यादा आंक गया ।
मं शर्मा (रज़ा)
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भर भर के झोलियां वो
सबको दे गया
खाली रही झोली मेरी
फैलाने से चूक गया
सच कहूँ खुद को मैं
कुछ ज्यादा आंक गया ।
मं शर्मा (रज़ा)
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