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उग आईं हैं बस्तियाँ
झील के किनारों पर
बजने लगीं हैं घंटियाँ
मंदिर शिवालयों पर
झील सी आँखों में तैरती<
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उग आईं हैं बस्तियाँ
झील के किनारों पर
बजने लगीं हैं घंटियाँ
मंदिर शिवालयों पर
झील सी आँखों में तैरती<
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