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जाने फिर कब बरसे बादल
धरती की प्यास बुझाने को
भीग जाने दो अपने तन मन
धुलने दो क्लेश विकारों को
आँसुओं से ध
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जाने फिर कब बरसे बादल
धरती की प्यास बुझाने को
भीग जाने दो अपने तन मन
धुलने दो क्लेश विकारों को
आँसुओं से ध
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