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मुझे अबोध जान
अज्ञानी न समझ माँ
तेरी गोद में खेला हूँ
अनाड़ी न समझ माँ
ये घर आँगन तेरा
छोटा सा संसार है
मैं तो इस जग के
कल्याण को जन्मा माँ।
मं शर्मा (रज़ा)
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मुझे अबोध जान
अज्ञानी न समझ माँ
तेरी गोद में खेला हूँ
अनाड़ी न समझ माँ
ये घर आँगन तेरा
छोटा सा संसार है
मैं तो इस जग के
कल्याण को जन्मा माँ।
मं शर्मा (रज़ा)
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