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आँखें कह रही हों जब
सब कही अनकही बातें
ज़ुबां से बोल कर कभी
इज़हार ए मोहब्बत नहीं करते।
मं शर्मा (रज़ा)
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आँखें कह रही हों जब
सब कही अनकही बातें
ज़ुबां से बोल कर कभी
इज़हार ए मोहब्बत नहीं करते।
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