इंसानियत's image
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इंसानों की जात थी

इंसानियत की बात थी

तुम कैसे भूल गए

इंसानों पर घात की


न तेरे अभिमान की

न उसके स्वाभिमान की

दोनों ने दफन की

इंसानियत इंसान की।


मं शर्मा (रज़ा)


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