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मुहब्बत लिखता हूँ
नाराज़ न होना
दिल में आया है
इंकार न करना
स्वीकार न हो तो
मेरा नसीब है
इतनी इल्तिजा है
इज़हार न करना ।
मं शर्मा (रज़ा)
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मुहब्बत लिखता हूँ
नाराज़ न होना
दिल में आया है
इंकार न करना
स्वीकार न हो तो
मेरा नसीब है
इतनी इल्तिजा है
इज़हार न करना ।
मं शर्मा (रज़ा)
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