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ये रूठना मनाना
खुदा की नेमत
सबको नसीब कहाँ
उल्फत की दौलत
है चाहत हमारी
खुदा की इबादत
याद करेगा ज़माना
तेरी मेरी चाहत।
मं शर्मा (रज़ा)
#स्वरचित
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ये रूठना मनाना
खुदा की नेमत
सबको नसीब कहाँ
उल्फत की दौलत
है चाहत हमारी
खुदा की इबादत
याद करेगा ज़माना
तेरी मेरी चाहत।
मं शर्मा (रज़ा)
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