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ज़माने का चलन देखा
हुनरबाज़ों का हुनर देखा
अपनों को सीढ़ी बना कर
आगे बढ़ने का फन देखा
कोरे आदर्शों का प्रपंच देखा
सच का रोज़ दमन देखा
कौड़ियों के दाम बिकता
शराफत का कफन देखा ।
मं शर्मा( रज़ा)
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