हिसाब's image
Share0 Bookmarks 13 Reads0 Likes

गुनाहों का हिसाब क्यूँ रखता फिरूँ

जीने की जद्दोजहद आज भी जारी है

मरने से पहले ही कैसे जीना छोड़ूँ

आज मेरी नहीं इसकी उसकी बारी है ।


मं शर्मा (रज़ा)

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts