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अनगिनत गम हैं जीवन में
अब हिसाब न कोई रखता हूँ
घर से जब भी बाहर निकलूँ
मुखौटा पहन कर चलता हूँ
दु
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अनगिनत गम हैं जीवन में
अब हिसाब न कोई रखता हूँ
घर से जब भी बाहर निकलूँ
मुखौटा पहन कर चलता हूँ
दु
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