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खर्च हो रहा हूँ
रोज़ यूँ ही
चुक जाऊँगा एक दिन
हौले हौले
सुन ना पाओगे
मेरी आवाज फिर
खो जाऊँगा खामोशियों में
हौले हौले
ढूँढ न सकोगे
तन्हाईयों में
मिट जाएंगे मेरे निशां
हौले हौले।
मं शर्मा( रज़ा)
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