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शब्द घाव कर जाते हैं
पछतावा मरहम होता है
ग़लत राह मुड़ जाते हैं
इल्ज़ाम मंजिल का होता है
निरूद्देश्य कर्मों का परिणाम
हर बार यूँ ही क्यों होता है ।
मं शर्मा (रज़ा)
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शब्द घाव कर जाते हैं
पछतावा मरहम होता है
ग़लत राह मुड़ जाते हैं
इल्ज़ाम मंजिल का होता है
निरूद्देश्य कर्मों का परिणाम
हर बार यूँ ही क्यों होता है ।
मं शर्मा (रज़ा)
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