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साया था हमसाया था

मेरे संग संग आया था

दिन भर मेरे साथ चला

रात को डर के चिपट गया

मेरा साया मेरे अंग संग रहा

साथ जीया और साथ मरा।


मं शर्मा(रज़ा)

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