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अधूरे ख्वाबों की हकीकत

रोज गढ़े रोज मिटे

आने वाले कल की

एक छद्म तस्वीर लगे

मुझको पता है तुमको पता है

फिर भी देख रहे ।


मं शर्मा (रज़ा)

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