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मेरा यकीन था
गुरूर नहीं था
हकीकत थी
सुरूर नहीं था
चाहत में तेरी
मगरूर नहीं था
मुहब्बत थी
मजबूर नहीं था।
मं शर्मा (रज़ा)
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मेरा यकीन था
गुरूर नहीं था
हकीकत थी
सुरूर नहीं था
चाहत में तेरी
मगरूर नहीं था
मुहब्बत थी
मजबूर नहीं था।
मं शर्मा (रज़ा)
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