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गुनहगार को हर गुनाह की
सज़ा देने की बात न कर
सज़ा देना भी खता है
खता करने की खता न कर
राहतों की बात कर
इनायतों की बात कर
मैं बंदग़ी में मशगूल हूँ
तू बख्शने की बात कर ।
मं शर्मा (रज़ा)
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