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नई भोर की
नई चेतना है
शांत झील का
किनारा है
पानी में उतरा देखो
सुंदर रंग हरियाला है
गुनगुनी धूप उतरी
चंचल लहरों पर
सद्यस्नाता कमल युग्ल
मंद मंद मुस्काया है
ऐसा सुंदर दृश्य मनोहर
छोड़ के कौन जा पाया है।
मं शर्मा (रज़ा)
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