गुमनामी's image
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कदम कदम पर मेले थे

फिर भी हम अकेले थे

समय धारा में प्रवाह न था

बस लहरों के थपेड़े थे


दुनिया के नीरस मेले में

समय के इस रेलम पेले में

शुक्र है मुझे तुम मिल गए

गुमनामियों से बच गए ।



मं शर्मा (रज़ा)

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