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जीवन के सितार के
कई तार टूट गए
छेड़ो ना गीत कोई
बेसुरा बेताल है
टूटी हुई कश्ती की
डगमगाती चाल है
रूठे हुए हैं राग सभी
जीवन विराग है ।
मं शर्मा (रज़ा)
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जीवन के सितार के
कई तार टूट गए
छेड़ो ना गीत कोई
बेसुरा बेताल है
टूटी हुई कश्ती की
डगमगाती चाल है
रूठे हुए हैं राग सभी
जीवन विराग है ।
मं शर्मा (रज़ा)
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