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अनजानी ख्वाहिशों की
अनबुझी प्यास है
अनजानी सी डगर पे
अनहोनी की आस है
अनबूझे सवालों के
अनसुने जवाब हैं
अनसुलझी उलझनों में
अनगिनत घुमाव हैं।
मं शर्मा (रज़ा)
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अनजानी ख्वाहिशों की
अनबुझी प्यास है
अनजानी सी डगर पे
अनहोनी की आस है
अनबूझे सवालों के
अनसुने जवाब हैं
अनसुलझी उलझनों में
अनगिनत घुमाव हैं।
मं शर्मा (रज़ा)
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