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ईंट गारे का मकान नहीं
मेरा छोटा सा घर है
अगली पीढ़ियों को मिली
पुरखों की धरोहर है
माँ के प्यार संग यहाँ
पिता की फटकार है
दादा दादी के दुलार की
यहाँ यादें बेशुमार हैं।
मं शर्मा (रज़ा)
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