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गुनाहों की गठरी ढोते रहेंगे
कर कर के तौबा करते रहेंगे
खुदा इनकी सुन रहा है शायद
वक्त इनका चल रहा है शायद।
मं शर्मा (रज़ा)
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गुनाहों की गठरी ढोते रहेंगे
कर कर के तौबा करते रहेंगे
खुदा इनकी सुन रहा है शायद
वक्त इनका चल रहा है शायद।
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