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ग़म और खुशी के फर्क
हौले हौले मिट गए
रूह मर मरके जिंदा रही
जिस्म आते जाते रहे ।
मं शर्मा (रज़ा)
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ग़म और खुशी के फर्क
हौले हौले मिट गए
रूह मर मरके जिंदा रही
जिस्म आते जाते रहे ।
मं शर्मा (रज़ा)
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