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मुखौटे पहने हुए
एक से चेहरे मिले
एक जैसी सोच के
मन के फरेबी मिले
चेहरों पर मुस्कान
हाथों में खंजर मिले
फर्क नहीं ज़रा सा
चोर सब एक से मिले
आस्तीन के साँप सभी
डसने को तैयार मिले।
मं शर्मा(रज़ा)
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