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दो कदम जो तेरी ओर बढ़े थे
माना कि तुझको गवारा नहीं थे
मैं आज भी उसी मोड़ पे खड़ा हूँ
जहाँ से तुम नई राह मुड़ थे ।
मं शर्मा (रज़ा)
#स्वरचित
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दो कदम जो तेरी ओर बढ़े थे
माना कि तुझको गवारा नहीं थे
मैं आज भी उसी मोड़ पे खड़ा हूँ
जहाँ से तुम नई राह मुड़ थे ।
मं शर्मा (रज़ा)
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