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इबादत थी कि दीवानगी
बड़ी शिद्दत से करते चले गए
प्यार था नज़र में आ गया
बिलावजह नज़रें चुराते रह गए।
मं शर्मा (रज़ा)
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इबादत थी कि दीवानगी
बड़ी शिद्दत से करते चले गए
प्यार था नज़र में आ गया
बिलावजह नज़रें चुराते रह गए।
मं शर्मा (रज़ा)
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