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सब प्राणी उसने गढ़े
सबकी एक सी मिट्टी है
ममतामयी माँ की दृष्टि में
सबके हक में दया वृष्टि है
तू अधम अज्ञानी न जाना
जान चुकी सारी सृष्टि है ।
मं शर्मा (रज़ा)
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सब प्राणी उसने गढ़े
सबकी एक सी मिट्टी है
ममतामयी माँ की दृष्टि में
सबके हक में दया वृष्टि है
तू अधम अज्ञानी न जाना
जान चुकी सारी सृष्टि है ।
मं शर्मा (रज़ा)
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