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रोशनी छन छन कर
दरीचों से भीतर आती रही
मेरे मन के अंधेरों को
बस एक दरवाज़ा न मिला
जीवन इतना बुरा न था
जितना मुझे लगता रहा ।
मं शर्मा (रज़ा)
#स्वरचित
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रोशनी छन छन कर
दरीचों से भीतर आती रही
मेरे मन के अंधेरों को
बस एक दरवाज़ा न मिला
जीवन इतना बुरा न था
जितना मुझे लगता रहा ।
मं शर्मा (रज़ा)
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