दरवाज़ा's image
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खताएँ होती हैं

मुझसे हो गई शायद

रूठना लाज़िमी था

वो रूठ गई शायद


देर तक दर पे

दस्तक देता रहा

दरवाज़ा दिल का

उसके बंद था शायद।


मं शर्मा(रज़ा)

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