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धरा अलसायी सी
धूप मुरझायी सी
अलाव की तपिश में
सर्दी कसमसाई सी
रजाईयों में सिमटे दिन
गजक गुड़ भाई थी।
चाय की चुस्कियों ने
थोड़ी ठंड छुड़ाई थी।
मं शर्मा (रज़ा)
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धरा अलसायी सी
धूप मुरझायी सी
अलाव की तपिश में
सर्दी कसमसाई सी
रजाईयों में सिमटे दिन
गजक गुड़ भाई थी।
चाय की चुस्कियों ने
थोड़ी ठंड छुड़ाई थी।
मं शर्मा (रज़ा)
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