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ये हताशा निराशा
बेबसी का सबब है
ना भीतर कोलाहल
ना बाहर हलचल है
बेबसी एक दिन
बगावत कर देगी
खामोशी चीख कर
खामोशी तोड़ देगी।
मं शर्मा (रज़ा)
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ये हताशा निराशा
बेबसी का सबब है
ना भीतर कोलाहल
ना बाहर हलचल है
बेबसी एक दिन
बगावत कर देगी
खामोशी चीख कर
खामोशी तोड़ देगी।
मं शर्मा (रज़ा)
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