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⁸इन काली बलखाती
घुमावदार सड़कों के
मनहूस चौराहे हैं
कदम कदम पे जहाँ
काल मुँहबाये खड़े हैं
होशियार रहो जब भी
सड़कों पर निकलो
हर कदम पर यहाँ
मौत के सौदागर
मरघट के हमराह खड़े हैं।
मं शर्मा(रज़ा)
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