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चंचल मन की
मिलन अभिलाषा
भंवरों को
कलियों की आशा
बिन शमा परवाना
बुझा बुझा सा
प्रेम सूत्र में
हर प्राणी बंधा सा।
मं शर्मा (रज़ा)
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चंचल मन की
मिलन अभिलाषा
भंवरों को
कलियों की आशा
बिन शमा परवाना
बुझा बुझा सा
प्रेम सूत्र में
हर प्राणी बंधा सा।
मं शर्मा (रज़ा)
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