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चाँदनी रात में
हाथों में हाथ हो
तन्हाई के साथ में
अनकही बात हो
बिनकहे बिनसुने
केवल आभास हो
धड़कनें समझ सकें
ऐसी कोई बात हो ।
मं शर्मा (रज़ा)
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चाँदनी रात में
हाथों में हाथ हो
तन्हाई के साथ में
अनकही बात हो
बिनकहे बिनसुने
केवल आभास हो
धड़कनें समझ सकें
ऐसी कोई बात हो ।
मं शर्मा (रज़ा)
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