
Share0 Bookmarks 9 Reads0 Likes
चलते चलते थक जाओ तो
रात बन के ढल जाना
जीने की फिर चाहत हो तो
भोर बन कर उग आना
जीवन चक्र यूँ ही चलता है
चलना और चलते जाना
थमने का कोई काम नहीं
जीवन है विश्राम नहीं ।
मं शर्मा( रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments