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इस इंसानियत से छिपते छिपाते
चलते चलते पहुँचें ऐसी जगह पे
कुछ दूर तुम से कुछ दूर मुझसे
चल चलें कहीं दूर इस जहां से ।
मं शर्मा( रज़ा)
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इस इंसानियत से छिपते छिपाते
चलते चलते पहुँचें ऐसी जगह पे
कुछ दूर तुम से कुछ दूर मुझसे
चल चलें कहीं दूर इस जहां से ।
मं शर्मा( रज़ा)
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