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ब्रज रज में बसे हुए हैं
कान्हा के अनन्य रूप
कण कण में महक रहे हैं
अबीर गुलाल के फूल
हवाओं में गूँज उठती है
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ब्रज रज में बसे हुए हैं
कान्हा के अनन्य रूप
कण कण में महक रहे हैं
अबीर गुलाल के फूल
हवाओं में गूँज उठती है
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