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तुम कहो तो एक बात कहूँ
अपने दिल के जजबात कहूँ
कसम तुम्हें उन यादों की
जिन्हें तेरी मेरी मुलाकात कहूँ
इसे शह कहूँ की मात कहूँ
या जीवन की बिसात कहूँ
तुम जा न सकी मेरे ह्रदय से
मैं आज राज़ की बात कहूँ।
मं शर्मा( रज़ा)
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