भोर's image
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ढलका ढलका रात का आँचल

निखरा निखरा उजाला है

थाम कर भोर का दामन

सूरज निकलने वाला है


पंछियों का मीठा कलरव

उनींदों को दस्तक देने वाला है

निष्प्राण पड़ी धरती में कोई

प्राण वायु फूँकने वाला है ।


मं शर्मा( रज़ा)

#स्वरचित

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