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जाने किस बेख्याली में
जी रहा है आदमी
किसी की चीख सुन के
जागता भी नहीं
बंद दरवाज़े ही दिखे
तेरे शहर में हर जगह
किसी दस्तक पे कोई दर
खुलता ही नहीं ।
मं शर्मा( रज़ा)
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जाने किस बेख्याली में
जी रहा है आदमी
किसी की चीख सुन के
जागता भी नहीं
बंद दरवाज़े ही दिखे
तेरे शहर में हर जगह
किसी दस्तक पे कोई दर
खुलता ही नहीं ।
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