
Share0 Bookmarks 16 Reads1 Likes
लेखनी से खेलता हूँ
गज़लों में कहता हूँ
शायरी से दोस्ताना
कविता संग रहता हूँ
जीवन की कड़वाहट को
शब्दों में पिरोता हूँ
हर एक कल को
कल से बेहतर करता हूँ।
मं शर्मा (रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
लेखनी से खेलता हूँ
गज़लों में कहता हूँ
शायरी से दोस्ताना
कविता संग रहता हूँ
जीवन की कड़वाहट को
शब्दों में पिरोता हूँ
हर एक कल को
कल से बेहतर करता हूँ।
मं शर्मा (रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments