
Share0 Bookmarks 19 Reads0 Likes
कहीं मस्ती कहीं उमंग
कहीं खुशियों के मृदंग
कहीं हाड़ गलाती रह गई
बेदर्द दिसम्बर की ठंड
ठंडे पड़ गए अलाव
सुलगाए सीले पुआल
धीमी जीवन की चाल
किया सर्दी ने बुरा हाल।
मं शर्मा (रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments