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कहीं मस्ती कहीं उमंग
कहीं खुशियों के मृदंग
कहीं हाड़ गलाती रह गई
बेदर्द दिसम्बर की ठंड
ठंडे पड़ गए अलाव
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कहीं मस्ती कहीं उमंग
कहीं खुशियों के मृदंग
कहीं हाड़ गलाती रह गई
बेदर्द दिसम्बर की ठंड
ठंडे पड़ गए अलाव
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