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न रूकता है
न थकता है
बिन पंखों के
उड़ा उड़ा फिरता है
बावरा मन मेरा
मेरी भी न सुनता है
जाने क्या
तलाश है
जाने कैसी
प्यास है
गगन के पार उसको
जाने की आस है ।
मं शर्मा (रज़ा)
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न रूकता है
न थकता है
बिन पंखों के
उड़ा उड़ा फिरता है
बावरा मन मेरा
मेरी भी न सुनता है
जाने क्या
तलाश है
जाने कैसी
प्यास है
गगन के पार उसको
जाने की आस है ।
मं शर्मा (रज़ा)
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