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कभी निखरता यौवन जैसा
कभी उदास दर्पण जैसा
कभी चढ़ते सूरज जैसा
कभी ढलती शाम जैसा
मौसम सा लगता वो
पल पल रंग बदलता सा
भीगी पलकों को मूँदे
बारिश के बहाने रोता सा ।
मं शर्मा (रज़ा)
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कभी निखरता यौवन जैसा
कभी उदास दर्पण जैसा
कभी चढ़ते सूरज जैसा
कभी ढलती शाम जैसा
मौसम सा लगता वो
पल पल रंग बदलता सा
भीगी पलकों को मूँदे
बारिश के बहाने रोता सा ।
मं शर्मा (रज़ा)
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